सब से ही मुख्तलिफ है अदबी सफर हमारा 
मंज़िल है दूर रस्ता है पुरखतर हमारा
सींचा है अपने खूं से शेरो अदब का गुलशन 
शामिल है रंगो बू में खूने जिगर हमारा
तौफीक से खुदा की पाया है फन सुखन का 
माँ की दुआओं से है निखरा हुनर हमारा 
नाकाम हो गए हम इस को सँवारने में 
बिगड़ा हुआ मुकद्दर है इस कदर हमारा
रो-ज़बर बहुत से देखे हैं ज़िंदगी ने 
तोड़ा है पत्थरों ने शीशे का घर हमारा
केवल ख़ुदा के दर पर रखते हैं हम जबीं को 
झुकता नहीं सभी के कदमों में सिर हमारा