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इज़हार / अजय अज्ञात
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इज़हार
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रचनाकार | अजय अज्ञात |
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प्रकाशक | सद्भावना प्रकाशन |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- करुण चरण कल्याणी जननी / अजय अज्ञात
- शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया आप का / अजय अज्ञात
- बंजर को उद्यान बना दे ऐ मौला / अजय अज्ञात
- सब से ही मुख्तलिफ है अदबी सफर हमारा / अजय अज्ञात
- करता हूँ पेश आप को नज़राना ए ग़ज़ल / अजय अज्ञात
- न पूछो ये मुझ से कि क्या कर रहा हूँ / अजय अज्ञात
- अभी उम्मीद है ज़िंदा अभी अरमान बाकी है / अजय अज्ञात
- घर के हर सामान से बिल्कुल जुदा है आईना / अजय अज्ञात
- एक पल को ख़ुशी बख्श दे / अजय अज्ञात
- ज्ञान का दीपक जला दे / अजय अज्ञात
- लेता हूँ उस का नाम बड़े एहतिराम से / अजय अज्ञात
- अंतर में विश्वास जगाओ / अजय अज्ञात
- महिमा अपरंपार तुम्हारी गंगा जी / अजय अज्ञात
- हर किसी को ख़ुशी चाहिये / अजय अज्ञात
- करे जो परवरिश वो ही ख़ुदा है / अजय अज्ञात
- मस्ज़िद में वो मिला है न मंदिर ही में मिला / अजय अज्ञात
- आइए कुर्आन की इस्लाम की बातें करें / अजय अज्ञात
- हों ऋचायें वेद की या आयतें कुर्आन की / अजय अज्ञात
- तुम जुबां पर हर घड़ी नामे ख़ुदा रक्खा करो / अजय अज्ञात
- कहाँ कोई हिंदू मुसलमां बुरा है / अजय अज्ञात
- गीता-सी या कुर्आन-सी उम्दा किताब बन / अजय अज्ञात
- दर्द से उपजा हुआ इक गीत लिख / अजय अज्ञात
- इज़हारेग़म शे'रों में यूं लिख कर करता हूँ / अजय अज्ञात
- मैंने वहशत में तेरा नाम सरे-आम पढ़ा / अजय अज्ञात
- अपने दिल में इतनी कुव्वत रखता हूँ / अजय अज्ञात
- ये तो बता कि दूर खड़ा सोचता है क्या / अजय अज्ञात
- जिस तरफ देखो मचा कोहराम है / अजय अज्ञात
- हर वक़्त दिल पे जैसे कोई बोझसा रहा / अजय अज्ञात
- आश्ना‚ नाआश्ना‚ अच्छा‚बुरा कोई तो हो / अजय अज्ञात
- कहा मोम ने ये पिघलते पिघलते / अजय अज्ञात
- सारे जहां को प्यार का पैग़ाम दे चलूँ / अजय अज्ञात
- जाती है जहाँ तक ये नज़र देख रहा हूँ / अजय अज्ञात
- इस से बढ़ कर और भला ग़म क्या होगा / अजय अज्ञात
- ये जिस्म ‚ ये लिबास यहीं छोड़ जाऊंगा / अजय अज्ञात
- निराशा में बढ़ाना हौसला है लाज़िमी बेशक / अजय अज्ञात
- ज़िंदगी बेमज़ा हो गई / अजय अज्ञात
- है समन्दर आसमानी क्यों भला / अजय अज्ञात
- यहाँ खतरे में सब की आबरू है / अजय अज्ञात
- गुलों से महकता चमन चाहिए / अजय अज्ञात
- नव सृजन करता रहा तन्हाइयों के बीच में / अजय अज्ञात
- जो सर झुका के हाथ कभी जोड़ता नहीं / अजय अज्ञात
- नफ़रत की ये आग बुझाने आ जाओ / अजय अज्ञात
- जिस शख्स के भी हाथ में है आईना मिला / अजय अज्ञात
- आज कल हालात हैं कुछ तंग से / अजय अज्ञात
- पीछे मुड़मुड़ कर नहीं देखा कभी / अजय अज्ञात
- दोस्ती मुझ से बढ़ाना चाहता है / अजय अज्ञात
- अब भी ऐसे लोग बहुत हैं बस्ती में / अजय अज्ञात
- सियासी खेल खेला जा रहा है / अजय अज्ञात
- बात ख़ुद से आइने में रू ब रू करता रहा / अजय अज्ञात
- आए काले बादल घिर कर / अजय अज्ञात
- अधरों की मुस्कान है बेटी / अजय अज्ञात
- बड़ी इख़्लासमंदी से सभी महमां बुलाए हैं / अजय अज्ञात
- कैसे करें बताओ बसर कुछ नहीं बचा / अजय अज्ञात
- बच्चे‚ बूढ़े जिसको देखो जीवन की इन राहों पर / अजय अज्ञात
- इस बात से वाक़िफ़ हैं सब कोई नहीं अंजान है / अजय अज्ञात
- कि दिल का किसी से लगाना बुरा है / अजय अज्ञात
- जीवन का हर पल बीता है दुविधा में‚ कठिनाई में / अजय अज्ञात
- राम जाने ये क्या हो गया / अजय अज्ञात
- बचपन ने सब ऐसा वैसा सीख लिया है / अजय अज्ञात
- माँ की उंगली थाम के चलना सीख लिया है / अजय अज्ञात
- सपने केवल सपने हैं / अजय अज्ञात
- पेट पर पट्टी बंधी है‚ बेबसी है / अजय अज्ञात
- ख़ाली कभी‚ भरा हुआ आधा दिखाई दे / अजय अज्ञात
- ज़रासी बात पे गुस्सा नहीं किया करते / अजय अज्ञात
- सब से ही दिल की बात का इज़हार मत करो / अजय अज्ञात
- तीर या तलवार आख़िर किस लिए / अजय अज्ञात
- कोसों पैदलपैदल चल कर दफ्तर जाते बाबू जी / अजय अज्ञात
- ज़िंदगी का हर लम्हा खुशगवार कर लिया / अजय अज्ञात
- नहीं खुश देख पाती है किसी को भी कभी यारो / अजय अज्ञात
- हर किसी की आँख का सपना है घर / अजय अज्ञात
- बेशुमार व्यर्थ की ख्व़ाहिशों को कम करें / अजय अज्ञात
- दिखने की चीज़ है न दिखाने की चीज़ है / अजय अज्ञात
- जो बीत गया उस पर रोने से क्या होगा / अजय अज्ञात
- सद्मात हिज्रे यार के जब जब मचल गए / अजय अज्ञात
- देखते ही आप को कुछ हो गया / अजय अज्ञात
- हम बेखुदी में जाने किस ओर जा रहे हैं / अजय अज्ञात
- घर-घर चूल्हा चौका करती ‚ करती सूट सिलाई माँ / अजय अज्ञात
- ज़िंदगी जीने का तब तक क़ायदा आया न था / अजय अज्ञात
- शायद दोनों में है अनबन / अजय अज्ञात
- मुझ को सफेद तो कभी काला बना दिया / अजय अज्ञात
- दिल लगाने के नतीजे सब मुझे मालूम हैं / अजय अज्ञात
- इच्छा क्या अभिलाषा क्या है / अजय अज्ञात
- उठ रही फिर भावना की इक लहर है / अजय अज्ञात
- बात सच्ची थी भले कड़वी लगी / अजय अज्ञात
- फुटकर अशआर/ अजय अज्ञात