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घर के हर सामान से बिल्कुल जुदा है आईना / अजय अज्ञात
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घर के हर सामान से बिल्कुल जुदा है आइना
बेजुबां हो कर भी सब कुछ बोलता है आइना
कह रहा सारा ज़माना बेहया है आइना
ऐ हसीनो तुम बताओ क्या बला है आइना
कर लो लीपापोती कितनी ही भले चेहरे पे तुम
असलियत सारी तुम्हारी जानता है आइना
आइने को देख कर इतरा रही है रूपसी
रूपसी को देख कर इतरा रहा है आइना
कातिलाना मुस्कुराहट‚ तिरछी नज़रें‚ लट खुलीं
नाज़नीं की हर अदा पर मर मिटा है आइना
खो गई इस की चमक भी साथ बढ़ती उम्र के
देखिये ‘अज्ञात' अब धुंधला गया है आइना