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ये तो बता कि दूर खड़ा सोचता है क्या / अजय अज्ञात
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ये तो बता कि दूर खड़ा सोचता है क्या
आता नहीं है पास भला सोचता है क्या
उल्फ़त का इक चराग़ तो रौशन तू दिल में कर
दुश्मन से जा के हाथ मिला सोचता है क्या
परवान चढ़ती जायेगी ये ज़िंदगी तिरी
सुंदर तू आचरण को बना सोचता है क्या
मिल जाएंगे निदान समस्याओं के तुझे
कोशिश तो कर क़़दम तो बढ़ा सोचता है क्या
रंगीन ख्व़ाब देख तू कैसे भी रंग में
काला‚ सफेद‚ लाल‚ हरा सोचता है क्या