सुण कै बहुत खुशी छाई म्हारे इस पैगाम की / सतबीर पाई
सुण कै बहुत खुशी छाई, म्हारे इस पैगाम की
पार्लियामेंट मैं कुर्सी बिछगी मान्यवर कांशीराम की...टेक
अठारा तारीख पाँच बजे डिक्लेर हो लिया
हक की लड़ण लड़ाई पैदा शेर हो लिया।
दलितों के दिल का दूर अंधेर हो लिया
दूसरा बाबा साहब खड्या आज फेर हो लिया
एकता बिना कोन्या इज्जत या म्हारी दाम की...
जो कांशीराम के मुख तै लिकड़े रहणी बात अधूरी ना
जब तक हक मिलता ना हमनै होवै लड़ाई पूरी ना
खाकै सोज्या उठ कै खाले या भी तै कोई थ्यूरी ना
म्हारे दिल पै के गुजरै इब तक समझी मजबूरी ना
संविधान मैं लिखी चीज कड़ै म्हारे नाम की...
बणकै रहे मोहताज आज तक नहीं बेड़ियाँ टूटी
एक याहे हस्ती कट्ठा आज समाज करण नै उट्ठी
सवर्ण हिन्दू लोगों नै सदा बात करी सै झूठी
बहकावे मैं देकै दुनिया मौज मस्तियाँ लूटी
म्हारी राखी करकै इसी हालत या जिसी गुलाम की...
हमको हिन्दू कहकै नै सदा साथ लगाया जा
झूठे साच्चे ढोंग रचा इस ढाल बहकाया जा
हिन्दू होकै न्यारा पाट्टै इसा पाठ पढ़ाया जा
जब लेज्या वोट खसोट लात तै फेर ठुकराया जा
पाई वाले सतबीर तेरी कविताई काम की...