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सुना जो बड़ों से कहा हम करे / रंजना वर्मा

सुना जो बड़ों से कहा हम करें
सदा हर किसी से वफ़ा हम करें

खुली बाँह में सारा आकाश हो
अगर दुश्मनी को फ़ना हम करें

रहें बाँटते मुस्कुराहट सदा
जमाने से ग़म को विदा हम करें

नहीं पतझड़ों को पुकारें कभी
बहारों का इक सिलसिला हम करें

दिया जो भी रब ने समेटा वही
भला बात का किस गिला हम करें

बनेंगे हमेशा नदी नीर सम
सदा प्यास जन की हरा हम करें

अँधेरा घनेरा बहुत हो रहा
उजाले को रौशन दिया हम करें

नहीं मोह माया हमें भा सकी
किसी का न अब आसरा हम करें

पुकारें कन्हैया को दिन रात हम
खयालों में तेरे रहा हम करें