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सौगंध दे रहल शहीद सब मजार से / जयराम दरवेशपुरी
Kavita Kosh से
आ रहल धरती पर
मौसम बहार के
बाँट रहल बइना
मिल्लत पियार के
वाद विवाद अउ क्षेत्रवाद के
धो रहलइ जमकल मवाद के
अखंडा अमोल पावस उपहार के
छल प्रपंच पाखंड द्वेष में
नरसिंह औतार सन अप्पन देश में
जेकर प्रतीक होली त्योहार में
देश हे सबके केकरा बीच बाँटू
बोलऽ कउन अंग अपनइं हम काटूँ
बाँटऽ मइया के अँचरा फार के
हिन्दू मुसलमान सिख आउ इशाई
चारो सहोदर हे हे सबके भाई
सौगंध दे रहल शहीद सब मजार से