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हइरत लगऽ हे तोरा चाल पर / जयराम दरवेशपुरी
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बड़ हइरत लगऽ हे
तोहर चाल पर सोंच ला दमभर
देशवा के ई हाल पर
गीध मसनद पर हे
बाज कुर्सी ले ले
शेर बगले में बइठल
ठकमुरकी देले
गीदड़ मारे तमाचा
दुनूं गाल पर
सुगा पिंजड़ा में कैद
कउआ पावे मलाय
जे सोना उपजइलक
ऊ भुखले डिंड़ियाय
उलुअन मटकी मारे
मइना के चाल पर
अदमी के जानवर
अखनी पढ़ावें खोंढ़ा
हुड़ार पेन्ह के नाचे
छपुआ जामा-जोड़ा
कउआ भेसलिन लगावे
दुन्नूं गाल पर
दोस्ती बगुला भगत
इया तऽ बिलाड़ में
हउआ जा घुसलो
जनतंत्री सरकार में
ठोर बिचकावे चुहवन
ओकर चाल पर