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हमको मालूम है वो क्या यहाँ करने आये / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
हमको मालूम है वो क्या यहाँ करने आये
संत का चोला पहन करके भेड़िये आये
वो मगरमच्छ तो दरिया में वास करते थे
गाँव में क्या यहाँ तफ़रीह वो करने आये
जिनके दामन में दाग़ अनगिनत देखे हमने
प्रवचन देने वही हम को ढोंगिए आये
जिनके आतंक की चर्चा है ऐसे नेता ही
वोट पाकर के बार - बार जीतते आये
कर दिए जो लहूलुहान ज़िन्दगी मेरी
अब वही लोग मेरे ग़म को बाँटने आये
धर्म - ईमान से जिनका न वास्ता कोई
इम्तहां लेने मेरा ऐसे दोगले आये
सीधे - साधे यहाँ जो लोग उनका क्या होगा
रास्ते भर हम यही बात सोचते आये