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हमने गर आसमाँ उठाया है / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
हमने गर आसमाँ उठाया है
जगहें सबके लिए बनाया है।
सूई ने कब कहाँ सिलाई की
धागे को रास्ता दिखाया है।
कोई तालाब बन गया होगा
कोठी ऊँची अगर उठाया है।
आँखें रखने का है गिला हमको
अंधों ने आइना दिखाया है।
बेसुध हो लोग सो गये जब-जब
हमने आवाज़ दे जगाया है।