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हम्मर मगही मइया / जयराम दरवेशपुरी
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हम्मर मगही मइया
अमृत रस देबइया
पीयऽ बहिना
पीयऽ दीदी
पीयऽ हँस-हँस भइया
मइया के गोदिया में
नेहिया के सागर
एक घूँट पीयऽ तऽ
जिनगी उजागर
सुख-दुख के
पलड़ा पर
बुधिया देबइया
नफरत के नदिया मंे
डुबकी लगइलूँ
प्यार भरल अमरित
कइसे गमइलूं
जुगुत-जतन करऽ
जोगइ के उपइया
सूतल हा चेतऽ
न´ रहिया भुलइहा
अपन-अपन दाग सब
अपनइ छोड़इहा
जगवे जयराम जाग
सत्तऽ मत भइया।