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हम राही हैं कठिन डगर के / आनन्द बल्लभ 'अमिय'

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हम राही हैं कठिन डगर के चलते आये चला करेंगे,
झंझावातों में रह रहकर पलते आये पला करेंगे।

मुश्किल कर्मों के माथे पर,
आसानी का तिलक लगाया,
हमने कष्ट भरी राहों पर,
सुख का सुंदर दीप जलाया,
प्रतिघातों से लड़ते उनको खलते आये खला करेंगे,
झंझावातों में रह रहकर पलते आये पला करेंगे।

कर्तव्यों का बोध हुआ जब,
जीवन की आपाधापी में,
कितने स्वप्न सलोने छूटे,
जुटे रहे हम जय जापी में,
निष्ठुर से कुछ लोग जगत में जलते आये जला करेंगें,
झंझावातों में रह रहकर पलते आये पला करेंगे।

सुख जीवन में ओस सरीखा,
क्षणिक रहा और चला गया फिर,
दु: ख के कारण ही जीवन में,
उत्सव सुख का छला गया फिर,
सुख दुख के अनुपात जगत को छलते आये छला करेंगे,
झंझावातों में रह रहकर पलते आये पला करेंगे।

हार हमारी छाया बनकर,
हर पल अपने साथ चली है,
जीत जीवनी की राहों में,
हमसे कम ही घुली मिली है,
हार पराभव अभिशापों से फलते आये फला करेंगे,
झंझावातों में रह रहकर पलते आये पला करेंगे।