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आनन्द बल्लभ 'अमिय'
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आनन्द बल्लभ 'अमिय'
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जन्म | 13 सितम्बर1988 |
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जन्म स्थान | अल्मोड़ा, उत्तराखंड |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
आनन्द बल्लभ 'अमिय' / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- हम अँधेरों में दिये बन जाएँगे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- हम सूरज मुट्ठी में लेकर / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- वृक्ष मैं नीरव विपिन का / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- सुनो पंछी सरीखे मन / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- भिन्न हैं प्रारब्ध सबके / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- हम भौतिकता में डूबे तो / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- बचालो मुझे मैं हिमालय तुम्हारा / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- कौन थे मेरे लिये तुम / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- प्रेम का व्यापार कर / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- बेटियों को दीजिए सम्मान / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- ठूँठ के संघर्ष की गाथा अनूठी है / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- भारत तुम्हें पुकार रहा है / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- व्यसन की है कामना क्यों / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- यह जीवन आस तजो न सखे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- मैं नियति हूँ मुझे यों न छेड़ो अरे! / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- आकुल मन की पीर न समझी / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- मेरे घर की बालकनी में / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- मृत्यु अटल है तो क्या हम सब हारें जीवन दर्शन / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- हे! भारत विश्वास न तजना / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- हम तपस्वी हैं अरण्यक / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- आस दीपक जलाओ सखे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- चक्रधर! वंशी तजो / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- प्रथम अर्चिका अंशुमान की / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- हम खरे हैं खरे ही रहेंगे सदा / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- जीत से हर हाल में तकरार है / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- सिद्ध प्रयोजन नहीं हुआ तो हार नहीं हो जाती है। / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- रोको इस आँधी को दीपक बुझे जा रहे हैं / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- मुख सना नवनीत से / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- अभी छोर पर तुम रहो मौन धारे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- पीड़ाओं की करुण कहानी / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- पुष्प बोगनबेलिया महके तुम्हारी याद देकर / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- प्यास प्यासी ही हमारी रह गई / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- एक योगी सहज योग साधे हुये / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- संवेदना का तार हूँ, मधुरे! तुम्हारा प्यार हूँ / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- हम राही हैं कठिन डगर के / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- वर्तिका-सा जल रहा था / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- दुपहरी के मौंन हैं स्वर / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- चल उठा बंदूक साथी / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- दूर बाँज के जंगल में / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- स्वप्न देखने में हरिया अब, हुआ बहुत ही माहिर / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- बदल रहा परिवेश गाँव का / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- कहाँ मानते ढोर / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- राघवेन्द्र राज्य में सुधर्म का विरोध है / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- प्रथम अर्चिका मंद-मंद गति / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- अक्सर लौट आता हूँ पहाड़ / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- मेरे ताप से झुलसी हरसिंगार / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- पुण्य कर्म का ही हो वंदन / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- दादुरों की बोलियाँ फुहार सरसा रही / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
- पुचकार दे, दुलार दे, माँ हंसवाहिनी तू / आनन्द बल्लभ 'अमिय'