शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
तेरे नाम की बेलपत्री चढ़ा, शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे,
नैन मूँदे खड़े देवगृह में प्रिये, याचना है तेरे बिन यूँ मर जाएँगे।
शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे।
प्रेम के पंथ पर हम बढ़े जा रहे,
मंजिलें पर अभी तक भी अज्ञेय हैं।
प्रेम के इस अभंजित से उपवास में,
नैन से बह रहा जल ही पाथेय है।
अब अगर खंड हो हर विशा देह की, आँखिरी श्वांस में भी तुम्हें ध्याएँगे।
नैन मूँदे खड़े देवगृह में प्रिये, याचना है तेरे बिन यूँ मर जाएँगे।
शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे।
उच्चरित हो रही ध्यान में तुम सदा,
आत्मिक योग की मुझको अनुभूति है।
शिवा शिवा शक्ति चैतन्य हैं देह में,
स्वार्थ का सुन सखे! अब तो आहूति है।
स्नायु में संचरित हो रहा प्रेम भी, अस्थि अवशेष सुखदे! तुम्हें गाएँगे।
नैन मूँदे खड़े देवगृह में प्रिये, याचना है तेरे बिन यूँ मर जाएँगे।
शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे।
प्रेम के इस महालोक में आये तो,
उर में अविरल बहे पावनी भक्ति हो।
प्रेम राघव सिया सम रहे दृष्टि में,
ध्येय इतना रहे प्रिय! न आसक्ति हो।
जीवनी के सफल हेतु हे! मधुमयी, स्तवक युग्म बन शिव पर चढ़ जाएँगे,
नैन मूँदे खड़े देवगृह में प्रिये, याचना है तेरे बिन यूँ मर जाएँगे।
शंभु बाबा से वर में तुम्हें पाएँगे।