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यह जीवन आस तजो न सखे / आनन्द बल्लभ 'अमिय'
Kavita Kosh से
सब साधन योग्य रहें न रहें
यह जीवन आस तजो न सखे।
हम पुत्र अनादिक हैं उसके।
भय होकर गेह रहें जिसके।
अविकार रहो त्रुटि आँगन में।
भय, काम कसो निज काखन में।
इस काल सुशांति भजो न सखे।
यह जीवन आस तजो न सखे।
विषपाय रहे विषकंठ रहे।
हम अच्युत केशव चंठ रहे।
फिर कौन सुयोधन बाँध सके।
छल से बल से अघ साध सके।
भय गीत, प्रगीत रचो न सखे।
यह जीवन आस तजो न सखे।
विपदा कब कौन अभंग रही।
सुविचार महौषध संग बही।
अतएव भजो अवलंबन को।
भयमुक्त करो निज जीवन को।
बनके नित शूल सजो न सखे।
यह जीवन आस तजो न सखे।
निज जीवन पर अधिकार करो।
प्रतिकूलन का प्रतिकार करो।
सदुपाय रहो जय सिद्धि मिले।
उतरोत्तर में अभिवृद्धि मिले।
अति दीन मलीन बनो न सखे।
यह जीवन आस तजो न सखे।