हर भूमि की हरियाली मै प्रदेश बसा सै हरियाणा रै।
जी जान तै प्यारा हमनै सै यो म्हारा ठोङ ठिकाणा रै॥
गिता ज्ञान का सारे विश्व तै इसनै पाठ पढाया है।
आदिकाल के लेखों मै यो ब्रह्मवृत दर्शाया है।
साहित्य और संस्कृति का बडा सुंदर रूप बताया है।
कहते है खुद प्रभु जी नै यो पावन प्रदेश बसाया है।
सन 66 तै शुरू होया यो हरियाणा दिवस मनाणा रै॥
21 जिलों मै जनता बसरी आड़ै ढाल ढाल की न्यारी रै।
सबके मन मै भरी है ममता है सबकी सबतै यारी रै।
सादे भोले लोग हैं सारे सै सबकी बोल्ली प्यारी रै।
धौती कूर्ता मर्द पहरते दामण पहरैं सब नारी रै।
गूँद चूरमा घी टींडी करै दूध दही का खाणा रै॥
खेल कबड्डी कुश्ती म्ह म्हारी धाक विश्व पै छारी सै।
हिम्मत आले जौहर दिखा कै म्हारी छौरी तमगे ला री सै।
मलंग गाबरू छौरे म्हारे जिन मै ताकत भारी सै।
सारे जहाँ मै अपणे दम पै इन्है बाजी मारी सै।
वीर कल्पना की कुर्बानी पै आज दुनिया गावै गाणा रै॥
लखमी, मांगे, मेहर सिंह नै आड़ै खूब रागनी गाई रै।
मेहमान नवाजी म्हारी की या दुनिया देवै गवाही रै।
सबतै ठाडे सैनिक म्हारे लड़ै सीमा पै लङाई रै।
गर्मी सर्दी बारिश मै म्हारे हाली करै कमाई रै।
सांवङिया कहै हरियाणे का सारे जग मै है रूक्का ठाणा रै॥