ग़ज़लें
- बिखर रहे थे हर इक सम्त काएनात के रंग / फ़ातिमा हसन
- जिन ख़्वाहिशों को देखती रहती थी ख़्वाब में / फ़ातिमा हसन
- ख़ुशबू है और धीमा सा दुख फैला है / फ़ातिमा हसन
- किस से बिछड़ी कौन मिला था भूल गई / फ़ातिमा हसन
- सुकून-ए-दिल के लिए इश्क़ तो बहाना था / फ़ातिमा हसन
- यादों के सब रंग उड़ा कर तन्हा हूँ / फ़ातिमा हसन