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"मैं मगन मन / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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09:30, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

एक तारा है गगन में
एक तारा है भवन में
एक तारा है नयन में
तीन तारों की लगन में
मैं मगन मन
वारुणी विष पी रहा हूँ
पी रहा हूँ- पी रहा हूँ।

गमगमाती
गीत गाती
मौत की मउहर बजाती
नाचती-पल छिन नचाती
जिंदगी मैं जी रहा हूँ
जी रहा हूँ-जी रहा हूँ

रचनाकाल: २५-०१-१९६१