भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंधे बादल / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("अंधे बादल / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:17, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
बिना आँख के
अंधे बादल
आसमान में चढ़े चले जा रहे-
चले जा रहे एक-दूसरे को पछियाए :
धरती उनको
खींच न पाई-नीचे अपने पास न लाई,
असफल हुआ गुरुत्वाकर्षण;
बेपानी है
पानी की रितु,
बूँद-बूँद के लिए
धरातल में गोहार है
रचनाकाल: २२-०६-१९७३