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"होली / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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उन्मत्त उमंगों को फिर भर लायी होली ! | उन्मत्त उमंगों को फिर भर लायी होली ! |
19:07, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण
नाना नव रंगों को फिर ले आयी होली,
उन्मत्त उमंगों को फिर भर लायी होली !
आयी दिन में सोना बरसाती फिर होली,
छायी, निशि भर चाँदी सरसाती फिर होली !
रुनझुन-रुनझुन घुँघरू कब बाँध गयी होली,
अंगों में थिरकन भर, स्वर साध गयी होली !
उर मे बरबस आसव री ढाल गयी होली,
देखो, अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली !
स्वागत में ढम-ढम ढोल बजाते हैं होली,
होकर मदहोश गुलाल उड़ाते हैं होली !