Changes

ये वो शगुन के आखर हैं - जो कुर्मंचालीय संस्कृति में हर शुभ कार्य में बांचे जाते हैं. कुर्मांचल की परम्पराएं अनंत काल से शंख - घंट की ध्वनि एवं भरे हुए कलश को शगुन का पर्याय मानती आई हैं . कुल वधुओं के अखंड सौभाग्य एवं उनकी हरी - भरी गोद के प्रति अपनी समस्त शुभकामनाएं संजोए है यह शगुन गीत
 
 
शकूनादे शकूनादे काजये,
 
आती नीका शकूना बोल्यां देईना ,
 
बाजन शंख शब्द ,
 
देणी तीर भरियो कलश,
 
यातिनिका, सोरंगीलो,
 
पाटल आन्च्ली कमले को फूल सोही फूल मोलावंत गणेश,
 
रामिचंद्र लछीमन जीवा जनम आद्या अमरो होय,
 
सोही पाटो पैरी रैना ,
 
सिद्धि बुद्धि सीता देही
 
बहुरानी आई वान्ती पुत्र वान्ती होय
6
edits