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वह राम है / रमेश कौशिक

20 bytes added, 14:09, 13 अप्रैल 2011
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=151 बाल-कविताएँ / रमेश कौशिक
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<poem>गंध बन जो फूल को महका रहा
वह राम है
पंछियों के कंठ से जो गा रहा
बादलों से सिंधु तक जो बह रहा
वह राम है\
मौन रह कर जो सभी कुछ कह रहा
वह राम है।