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यदि चाँद से ही चंद्रबिंदु छीन लिया जाएगा तो वह बेचारा कहाँ जाएगा। उचित मार्ग दर्शन की अपेक्षा है।--[[सदस्य:Hemendrakumarrai|Hemendrakumarrai]] ११:५५, १८ जनवरी २००८ (UTC)
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'''लाख दुश्मनों बाली दुनिया के बावजूद / जयप्रकाश मानस''' क्या इसके हिज्जे ग़लत नहीं हैं? और हाँ, बहुत दिन पहले आपको ई-मेल भेजा था, शायद पढ़ा नहीं।
--[[सदस्य:Sumitkumar kataria|Sumitkumar kataria]] १६:३१, ३ मार्च २००८ (UTC)
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