[[किराएदार / अनवर ईरज]] ज़रा इसके हिज्जे देख लें।
मैं वापस काम पर लग गया हूँ। [[सदस्य:Sumitkumar kataria|सुमितकुमार कटारिया]]([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) ०४:०२, २९ जून २००८ (UTC)
== ==
अब क्या हुआ? इतनी सारी कविताएँ एक साथ डाल दी, और मुझे जवाब नहीं लिखा।
और '''पत्थर हो जाएगी नदी''' की सारी कविताओं में रचना साँचे में आपने '''|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा''' की जगह '''|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदीं / मोहन राणा''' भर दिया, जिससे हर कविता में संग्रह का लिंक लाल आ रहा है। और एक ग़लती ये भी कि इन सभी कविताओं में आपने शीर्षक के प्रारूप में गड़बड़ कर दी। '''किताब /मोहन राणा''': ये ग़लत तरीक़ा है। हम / के आगे पीछे एक एक स्पेस देते हैं। प्रारूप क़ायम रखने से ये फ़ायदा है अगर आप सर्च-बाक्स में टाइप करके सीधा, बिना किसी लिंक के, किसी कविता पर जाना चाहते हैं। जैसे की सदस्यों के वार्ता वाले पन्ने का ये प्रारूप होता है: '''सदस्य वार्ता:Username''' तो मैं बग़ैर हाल में हुए बदलाव वाले पन्ने पर जाए, सीधा पहले पन्ने पर सर्च बॉक्स में '''सदस्य वार्ता:Anil janvijay''' टाइप करता हूँ।
शायद आप उस कम्प्यूटर पर बैठे हुए होंगे जिस पर हिंदी इनपुट नहीं है, ऐसे में [http://kaulonline.com/uninagari/inscript.htm इस साइट] पर या [http://www.gate2home.com इधर] जा सकते हैं, इन पर इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड है।
--[[सदस्य:Sumitkumar kataria|सुमितकुमार कटारिया]]([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) १३:१३, २८ अप्रैल २००८ (UTC)
== ==
क्या हुआ? शोध करने चले गए क्या? इतने दिन हो गए, कुछ बात ही नहीं की।--[[सदस्य:Sumitkumar kataria|सुमितकुमार कटारिया]]([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) १४:२६, २७ अप्रैल २००८ (UTC)
== मैं आपसे सहमत नहीं हूँ ==
आपने ये बात वर्तनी मानक वाले पन्ने पर जोड़ी है:
मैंने इस नियम पर इतना ज़ोर दिया, कोश की पहली ऐडिट ही इस नियम को सुधारने के लिए की थी, पर फिर नतीजा ठन-ठन गोपाल। मैं इससे सहमत हूँ कि आधे ङ और आधे ञ की जगह अनुस्वार लगना चाहिए। क्योंकि आधा ङ जो कि क,ख,ग,घ में मिला के लिखा जाता था, संस्कृत के अलावा कहीं दिखता ही नहीं। और तो और यूनिकोड में इस मिले हुए रूप की बजाए ङ पर हल् लगा दिया जाता है, जो तो कभी देखा ही नहीं। ञ इसलिए नहीं कि इसे लोग उच्चारना ही नहीं जानते (कम से कम मैं और मेरे हिंदी टीचर तो नहीं), बिंदु के बहाने इसकी जगह न बोला जा सकता है। पर बाक़ी तीन अनुनासिकों के बारे में ये तो बिल्कुल ही ग़लत है। आप कह रहे हैं कि पहले वाले रूप को तरजीह दो, क्योंकि ये चलन में है, क्यों? कौन-से लाट साहब ने कहा है? मतलब ज़रा किसी की रैफ़्रैन्स देंगे।
ख़ैर, मैं कैसे साबित करूँ कि "चलन" ऐसा नहीं है। सीधा-सा तरीक़ा है किताबें टटोलो, आँकड़े जुटाओ, कि आधा न इस्तेमाल कितनी बार दिखाई दिया, बिंदु कितनी बार। ये तो शोधार्थी-छाप तरीक़ा हो गया। पर ऐसी ही बहस, हिंदी विकिपीडिया पर हुई थी, मुद्दा ये था कि मिस वर्ल्ड लिखा जाए या विश्व सुन्दरी? विश्व सुन्दरी वाला जीत गया। कैसे? उसने ये दलील दी : गूगल पर अगर ''मिस वर्ल्ड'' खोजा जाए तो 3900 परिणाम मिलते हैं, ''विश्व सुन्दरी'' के लिए 17600, और विश्व सुंदरी के लिए 2550, सो लिखे हुए में विश्व सुन्दरी ही चलन में है, मिस वर्ल्ड नहीं। पर यहाँ से मेरी तरकीब भी निकल गई। एक मिसाल तो इसी में ले लीजिए, कि सुन्दरी, सुंदरी से ज़्यादा लिखा जाता है। मैंने इस तरह की और खोजें की। कुछ अनुनासिक के हक़ में मिली, कुछ अनुस्वार के हक़ में, और, इस तरह, दोनों मिला के मेरे हक़ में। याने कि दोनों रूप "चलन" में है। देखिए: गूगल ठंडा के लिए 2140 नतीजे लाता है, और ठण्डा के लिए 12500। बंदर के लिए, इसके उलट, 10100 मिलते हैं, जबकि बन्दर के लिए 6230 । और गांधी के लिए भी 190,000, पर गान्धी के लिए सिर्फ़ 13,200, पर ये भी कम नहीं है। कम्प्यूटर के लिए 185,000 तो कंप्यूटर के लिए 117,000, ये भी मेरे हक़ में, पर इस बार दोनों में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है। तो कुल मिला के मैं सही हूँ।Yaane Donon roop sahi hote hain.
आपके डाँट भरे जवाब का इंतज़ार है। --[[सदस्य:Sumitkumar kataria|सुमितकुमार कटारिया]]([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) ०३:४१, २३ अप्रैल २००८ (UTC)