{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=कविता चाँदनी / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: कवितागीत]]
<poem>
चाँदनी करती चली परिहास
एक मधुकर को जगाया
एक पक्षी सो न पाया
लाज से तीनों गये मर जब कि आयी पास
एक चकवी चकई के खुले पट
एक नभ-दीपक बुझा झट
एक बाला सरित -तट पर आ गयी, कटि पर लिए लिये घटएक विरहिन सो गयी होकर नितांत हतासहताश
चाँदनी करती चली परिहास