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<poem>
 भीत्ति भीत्ति नहीं है कोई
फिर भी इन रेखाओं में मैंने निज सृष्टि सँजोयी
 
'क्या लिखता, कैसे लिखता हूँ
औरों को कैसा दीखता दिखता हूँ
प्रतिलिपि हूँ या मौलिकता हूँ'
सारी चिंता खोयी
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