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"विक्षिप्त / मधु शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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13:37, 21 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण

अंधेरे की बिसात से होकर

आती है कोई बात--

कान सुनते हैं

छूते हैं हाथ

वह कहीं भी

घटित नहीं हुई


उसकी खोज में अपने से

बाहर चली जाती हूँ मैं

पर इस तरह नहीं

कि लौटकर आ ही न सकूँ


मैं उन पागलों-सी नहीं

जिन्हें यह भी याद नहीं

कि उनके घर हैं ।