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दुहरा सेतु / रमेश रंजक
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06:20, 19 दिसम्बर 2011
दो बूँदें गिरते ही...
हरियायी
हरियाई
यादों ने बाँध दिया
तनहाई पर दुहरा सेतु
सुलग उठी भीतर-भीतर नमी
अनिल जनविजय
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