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"चेहरा / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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माँ मुझे पहचान नहीं पाई | माँ मुझे पहचान नहीं पाई | ||
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जब मैं घर लौटा | जब मैं घर लौटा | ||
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सर से पैर तक धूल से सना हुआ | सर से पैर तक धूल से सना हुआ | ||
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माँ ने धूल पॊंछी | माँ ने धूल पॊंछी | ||
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उसके नीचे कीचड़ | उसके नीचे कीचड़ | ||
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जो सूखकर सख़्त हो गया था साफ़ किया | जो सूखकर सख़्त हो गया था साफ़ किया | ||
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फिर उतारे लबादे और मुखौटे | फिर उतारे लबादे और मुखौटे | ||
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जो मैं पहने हुए था पता नहीं कब से | जो मैं पहने हुए था पता नहीं कब से | ||
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उसने एक और परत निकालकर फेंकी | उसने एक और परत निकालकर फेंकी | ||
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जो मेरे चेहरे से मिलती थी | जो मेरे चेहरे से मिलती थी | ||
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तब दिखा उसे मेरा चेहरा | तब दिखा उसे मेरा चेहरा | ||
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वह सन्न रह गई | वह सन्न रह गई | ||
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वहाँ सिर्फ़ एक ख़ालीपन था | वहाँ सिर्फ़ एक ख़ालीपन था | ||
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या एक घाव | या एक घाव | ||
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आड़ी तिरछी रेखाओं से ढँका हुआ । | आड़ी तिरछी रेखाओं से ढँका हुआ । | ||
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17:55, 12 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
माँ मुझे पहचान नहीं पाई
जब मैं घर लौटा
सर से पैर तक धूल से सना हुआ
माँ ने धूल पॊंछी
उसके नीचे कीचड़
जो सूखकर सख़्त हो गया था साफ़ किया
फिर उतारे लबादे और मुखौटे
जो मैं पहने हुए था पता नहीं कब से
उसने एक और परत निकालकर फेंकी
जो मेरे चेहरे से मिलती थी
तब दिखा उसे मेरा चेहरा
वह सन्न रह गई
वहाँ सिर्फ़ एक ख़ालीपन था
या एक घाव
आड़ी तिरछी रेखाओं से ढँका हुआ ।
(1989)