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{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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जीवन में हमारे
आता है प्रेम बसंत की तरह
और प्रेम ही लाता है- बसंत बसंत।
वर्ष में कुछ खास दिन होते हैं-
जब होता है प्रेम ।प्रेम।
उदासी को दूर करता
प्रेम उदित होता है
सूर्य की भांति
और जगमगाता है जीवन जीवन।
करते नहीं प्रतीक्षा
फिर भी लौट-लौट आता है
जीवन में पुन: पुन: जीवन में प्रेमतभी लौटता है बार-बार लौटता है बसंत !हर बार बसंत!!
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