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|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
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मार हथौड़ा,
 कर-कर चोट ! 
लाल हुए काले लोहे को
 जैसा चाहे वैसा मोड़ ! 
:::मार हथौड़ा,
 :::कर-कर चोट ! 
:::थोड़े नहीं-- अनेकों गढ़ ले
 :::फ़ौलादी नरसिंह करोड़ ।करोड़।
मार हथौड़ा,
 कर-कर चोट ! 
लोहू और पसीने से ही
 बंधन की दीवारें तोड़ ।तोड़।
:::मार हथौड़ा,
 :::कर-कर चोट ! 
:::दुनिया की जाती ताकत हो,
 :::जल्दी छवि से नाता जोड़ !
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