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हाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानी<br>
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चलली मदोदर रानी दावना छिरके पानी<br>
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टूटि गइले खुरपी, ढरकि गइले पानी<br>
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रोयेली मदोदर रानी, कवना छिनारी के बेटा रहलन फुलवारी<br>
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हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारी<br>
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केकर घोड़वा माई रे ओएडें-गोएड़ें जाय<br>
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केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाए<br>
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ससुर भसुर के घोड़वा ओएड़े-गोएड़े जाय<br>
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हँसेले कवन दुलहा, मुँहे खाले पान।<br><br>
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मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया<br>
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हाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानी
कोइलर बोले अनबोल,<br>
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चलली मदोदर रानी दावना छिरके पानी
सुतल रजवा रे उठि के बइठऽले<br>
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टूटि गइले खुरपी, ढरकि गइले पानी
पसिया के पकड़ लेइ आउ रे<br>
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रोयेली मदोदर रानी, कवना छिनारी के बेटा रहलन फुलवारी
हँकड़हु -डँकड़हु गाँव-चकुदरवा<br>
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हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारी
राजा जी के परे ला हँकार ए<br>
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केकर घोड़वा माई रे ओएडें-गोएड़ें जाय
कि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए<br>
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केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाए
नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि <br>
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ससुर भसुर के घोड़वा ओएड़े-गोएड़े जाय
नाहिं हम नग्र से उजारबिए।<br>
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कवना दुलहवा के घोड़वा माई रे सोझे उदड़ल जाय
जवना चिरइया के बोलिया सोहावन,<br>
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रोयेली कवन सुभई मटुकवे पोंछे लोर
उहे आनि देहु रे।<br>
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हँसेले कवन दुलहा, मुँहे खाले पान।
डाढ़ि -डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे,<br>
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पाते -पाते कोइलर लुकासु रे,<br>
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जेहिसन पसिया रे लवले उदबास, (उदबास=बेचैनी)<br>
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मुओ तोर जेठका पूतऽ ए।<br>
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तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा<br>
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खोरन दुधवा आहार रे।<br>
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जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले<br>
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जिओ तोर जेठका पुतऽ रे।<br><br>
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हम तेहि पूछिले सुरसरि गंगा, काहे रउआ छोड़िले अरार हे।<br>
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मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया
पिया माछर मारे ला बिन रे मलहवा,<br>
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कोइलर बोले अनबोल,
ओहि मोरा छोड़िले अरार रे।<br>
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सुतल रजवा रे उठि के बइठऽले
डालावा मउरिया लेके उतरे कवन समधी,<br>
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पसिया के पकड़ लेइ आउ रे
सोरहो सिंगार ले के उतरे कवन भसुर,<br>
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हँकड़हु -डँकड़हु गाँव-चकुदरवा
ओहि मोरा ढबरल पानी।<br><br>
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राजा जी के परे ला हँकार ए
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कि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए
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नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि
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नाहिं हम नग्र से उजारबिए।
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जवना चिरइया के बोलिया सोहावन,
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उहे आनि देहु रे।
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डाढ़ि -डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे,
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पाते -पाते कोइलर लुकासु रे,
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जेहिसन पसिया रे लवले उदबास, (उदबास=बेचैनी)
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मुओ तोर जेठका पूतऽ ए।
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तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा
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खोरन दुधवा आहार रे।
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जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले
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जिओ तोर जेठका पुतऽ रे।
  
'''.'''<br>
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'''.'''
ए जाहि रे जगवहु कवन देवा, जासु दुहावन।<br>
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हम तेहि पूछिले सुरसरि गंगा, काहे रउआ छोड़िले अरार हे।
ए दुधवा के चलेला दहेंडिया त,<br>
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पिया माछर मारे ला बिन रे मलहवा,
मठवा के नारी बहे।<br>
+
ओहि मोरा छोड़िले अरार रे।
ए हथवा के लिहली अरतिया त,<br>
+
डालावा मउरिया लेके उतरे कवन समधी,
मुँह देखेली सोरही सनेही।<br>
+
सोरहो सिंगार ले के उतरे कवन भसुर,
ए जहि रे जगवहु कवन देही, जासु दुहावन।<br>
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ओहि मोरा ढबरल पानी।
ए हथवा के लिहली अरतिया, त <br>
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सोरही सनेही आरती निरेखेली ए। जाहिरे...<br><br>
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'''५.'''<br>
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'''४.'''
आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे,<br>
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ए जाहि रे जगवहु कवन देवा, जासु दुहावन।
देबऽ सतरजिया बिछाइ ए।<br>
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ए दुधवा के चलेला दहेंडिया त,
गाई के घीव धूम हूम कराइबि,<br>
+
मठवा के नारी बहे।
आकासे चली जास ए।<br>
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ए हथवा के लिहली अरतिया त,
आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे।<br>
+
मुँह देखेली सोरही सनेही।
देबऽ सतरजिया बिछाई ए।<br>
+
ए जहि रे जगवहु कवन देही, जासु दुहावन।
गाई के गोबर .. कब जग उगरिन होसु ए।<br>
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ए हथवा के लिहली अरतिया, त
आईं ना काली माई, बइठीं मोरे अंगनवाँ हे,<br>
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सोरही सनेही आरती निरेखेली ए। जाहिरे...
देबऽ सतरजिया बिछाइ ए,<br>
+
 
गाई के घीव धूम हम कराइबि,<br>
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'''५.'''
कब जग उगरिन होसु हे।<br><br>
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आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे,
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देबऽ सतरजिया बिछाइ ए।
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गाई के घीव धूम हूम कराइबि,
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आकासे चली जास ए।
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आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे।
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देबऽ सतरजिया बिछाई ए।
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गाई के गोबर .. कब जग उगरिन होसु ए।
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आईं ना काली माई, बइठीं मोरे अंगनवाँ हे,
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देबऽ सतरजिया बिछाइ ए,
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गाई के घीव धूम हम कराइबि,
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कब जग उगरिन होसु हे।
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</poem>

13:00, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात


१.
हाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानी
चलली मदोदर रानी दावना छिरके पानी
टूटि गइले खुरपी, ढरकि गइले पानी
रोयेली मदोदर रानी, कवना छिनारी के बेटा रहलन फुलवारी
हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारी
केकर घोड़वा माई रे ओएडें-गोएड़ें जाय
केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाए
ससुर भसुर के घोड़वा ओएड़े-गोएड़े जाय
कवना दुलहवा के घोड़वा माई रे सोझे उदड़ल जाय
रोयेली कवन सुभई मटुकवे पोंछे लोर
हँसेले कवन दुलहा, मुँहे खाले पान।

२.
मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया
कोइलर बोले अनबोल,
सुतल रजवा रे उठि के बइठऽले
पसिया के पकड़ लेइ आउ रे
हँकड़हु -डँकड़हु गाँव-चकुदरवा
राजा जी के परे ला हँकार ए
कि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए
नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि
नाहिं हम नग्र से उजारबिए।
जवना चिरइया के बोलिया सोहावन,
उहे आनि देहु रे।
डाढ़ि -डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे,
पाते -पाते कोइलर लुकासु रे,
जेहिसन पसिया रे लवले उदबास, (उदबास=बेचैनी)
मुओ तोर जेठका पूतऽ ए।
तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा
खोरन दुधवा आहार रे।
जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले
जिओ तोर जेठका पुतऽ रे।

३.
हम तेहि पूछिले सुरसरि गंगा, काहे रउआ छोड़िले अरार हे।
पिया माछर मारे ला बिन रे मलहवा,
ओहि मोरा छोड़िले अरार रे।
डालावा मउरिया लेके उतरे कवन समधी,
सोरहो सिंगार ले के उतरे कवन भसुर,
ओहि मोरा ढबरल पानी।

४.
ए जाहि रे जगवहु कवन देवा, जासु दुहावन।
ए दुधवा के चलेला दहेंडिया त,
मठवा के नारी बहे।
ए हथवा के लिहली अरतिया त,
मुँह देखेली सोरही सनेही।
ए जहि रे जगवहु कवन देही, जासु दुहावन।
ए हथवा के लिहली अरतिया, त
सोरही सनेही आरती निरेखेली ए। जाहिरे...

५.
आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे,
देबऽ सतरजिया बिछाइ ए।
गाई के घीव धूम हूम कराइबि,
आकासे चली जास ए।
आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे।
देबऽ सतरजिया बिछाई ए।
गाई के गोबर .. कब जग उगरिन होसु ए।
आईं ना काली माई, बइठीं मोरे अंगनवाँ हे,
देबऽ सतरजिया बिछाइ ए,
गाई के घीव धूम हम कराइबि,
कब जग उगरिन होसु हे।