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पराती / भोजपुरी

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{{KKLokRachna|रचनाकार=अज्ञात}}{{KKCatBhojpuriRachna}}
'''१.'''<br>{{KKLokGeetBhaashaSoochiहाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानी<br>|भाषा=भोजपुरीचलली मदोदर रानी दावना छिरके पानी<br>टूटि गइले खुरपी, ढरकि गइले पानी<br>रोयेली मदोदर रानी, कवना छिनारी के बेटा रहलन फुलवारी<br>हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारी<br>केकर घोड़वा माई रे ओएडें-गोएड़ें जाय<br>केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाए<br>ससुर भसुर के घोड़वा ओएड़े-गोएड़े जाय<br>कवना दुलहवा के घोड़वा माई रे सोझे उदड़ल जाय<br>रोयेली कवन सुभई मटुकवे पोंछे लोर<br>हँसेले कवन दुलहा, मुँहे खाले पान।<br>}}<brpoem>
'''.'''<br>मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया<br>हाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानीचलली मदोदर रानी दावना छिरके पानीकोइलर बोले अनबोलटूटि गइले खुरपी,<br>ढरकि गइले पानीसुतल रजवा रे उठि रोयेली मदोदर रानी, कवना छिनारी के बइठऽले<br>बेटा रहलन फुलवारीपसिया के पकड़ लेइ आउ हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारीकेकर घोड़वा माई रे<br>हँकड़हु ओएडें-डँकड़हु गाँव-चकुदरवा<br>गोएड़ें जायराजा जी के परे ला हँकार ए<br>केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाएकि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए<br>नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि <br>नाहिं हम नग्र से उजारबिए।<br>जवना चिरइया ससुर भसुर के बोलिया सोहावन,<br>उहे आनि देहु रे।<br>डाढ़ि घोड़वा ओएड़े-डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे,<br>गोएड़े जायपाते -पाते कोइलर लुकासु कवना दुलहवा के घोड़वा माई रे,<br>सोझे उदड़ल जायजेहिसन पसिया रे लवले उदबासरोयेली कवन सुभई मटुकवे पोंछे लोरहँसेले कवन दुलहा, (उदबास=बेचैनी)<br>मुओ तोर जेठका पूतऽ ए।<br>तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा<br>खोरन दुधवा आहार रे।<br>जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले<br>जिओ तोर जेठका पुतऽ रे।<br><br>मुँहे खाले पान।
'''.'''<br>हम तेहि पूछिले सुरसरि गंगामोर पिछुअरवा रे घन बंसवरियाकोइलर बोले अनबोल, काहे रउआ छोड़िले अरार हे।<br>पिया माछर मारे ला बिन सुतल रजवा रे मलहवाउठि के बइठऽलेपसिया के पकड़ लेइ आउ रेहँकड़हु -डँकड़हु गाँव-चकुदरवाराजा जी के परे ला हँकार एकि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि एनाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि नाहिं हम नग्र से उजारबिए।जवना चिरइया के बोलिया सोहावन,<br>ओहि मोरा छोड़िले अरार उहे आनि देहु रे।<br>डालावा मउरिया लेके उतरे कवन समधीडाढ़ि -डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे,<br>सोरहो सिंगार ले के उतरे कवन भसुरपाते -पाते कोइलर लुकासु रे,<br>ओहि मोरा ढबरल पानी।<br><br>जेहिसन पसिया रे लवले उदबास, (उदबास=बेचैनी)मुओ तोर जेठका पूतऽ ए।तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वाखोरन दुधवा आहार रे।जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वलेजिओ तोर जेठका पुतऽ रे।
'''.'''<br>ए जाहि रे जगवहु कवन देवाहम तेहि पूछिले सुरसरि गंगा, जासु दुहावन।<br>काहे रउआ छोड़िले अरार हे।ए दुधवा के चलेला दहेंडिया तपिया माछर मारे ला बिन रे मलहवा,<br>मठवा के नारी बहे।<br>ओहि मोरा छोड़िले अरार रे।ए हथवा के लिहली अरतिया त,<br>मुँह देखेली सोरही सनेही।<br>ए जहि रे जगवहु डालावा मउरिया लेके उतरे कवन देहीसमधी, जासु दुहावन।<br>ए हथवा सोरहो सिंगार ले के लिहली अरतियाउतरे कवन भसुर, त <br>सोरही सनेही आरती निरेखेली ए। जाहिरे...<br><br>ओहि मोरा ढबरल पानी।
'''४.'''ए जाहि रे जगवहु कवन देवा, जासु दुहावन।ए दुधवा के चलेला दहेंडिया त,मठवा के नारी बहे।ए हथवा के लिहली अरतिया त,मुँह देखेली सोरही सनेही।ए जहि रे जगवहु कवन देही, जासु दुहावन।ए हथवा के लिहली अरतिया, त सोरही सनेही आरती निरेखेली ए। जाहिरे... '''५.'''<br>आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे,<br>देबऽ सतरजिया बिछाइ ए।<br>गाई के घीव धूम हूम कराइबि,<br>आकासे चली जास ए।<br>आईं ना बरहम बाबा, बइठीं मोरे अंगनवा हे।<br>देबऽ सतरजिया बिछाई ए।<br>गाई के गोबर .. कब जग उगरिन होसु ए।<br>आईं ना काली माई, बइठीं मोरे अंगनवाँ हे,<br>देबऽ सतरजिया बिछाइ ए,<br>गाई के घीव धूम हम कराइबि,<br>कब जग उगरिन होसु हे।<br><br/poem>
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