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|रचनाकार= Triloki nath upadhyaya त्रिलोकीनाथ उपाध्याय (Gorakhpurगोरखपुर)}}{{KKCatBhojpuriRachna}}
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|भाषा=भोजपुरी
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<poem>छोटकी गोतिनिया के तनवा के बतिया,<br>पतिया रोई-रोई ना, लिखावे रजमतिया।<br>सोस्ती श्री चिट्टी रउरा भेजनी तेमे लिखल,<br>सोरे पचे अस्सी रोपेया, भेजनी तवन मिलल<br>ओतना से नाही कटी, भारी बा बिपतिया। पतिया...<br>छोटकी के झूला फाटल, जेठकी के नाहीं,<br>बिटिया सेयान भइल, ओकरो लूगा चाही,<br>अबगे धरत बाटे कोंहड़ा में बतिया, पतिया ...<br>रोज -रोज मंगरा मदरसा जाला,<br>एक दिन तुरले रहे मौलवी के ताला,<br>ओकरा भेंटाइल बा करीमना संघतिया। पतिया...<br>पांडे जी के जोड़ा बैला गइलेसऽ बिकाइ,<br>मेलवा में गइले त पिलवा भुलाइल,<br>चार डंडा मरले मंगरू, भाग गइल बेकतिया। पतिया...<br>जाड़ा के महीना बा, रजाई लेम सिआइ,<br>जाड़ावा से मर गइल दुरपतिया के माई,<br>बड़ा जोर बीमार बा भिखारी काका के नतिया। पतिया...<br>कबरी बकरिया रात-भर मेंमिआइल,<br>छोटका पठरुआ लिखीं कतना में बिकाई,<br>दुखवा के परले खिंचत बानी जँतिया। पतिया...<br><br>