- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
लिखि देई स्वस्तीय श्री चिट्ठी राउर पवलीं,
पाँच सोरह रूपइया तऽ रउरे पठवलीं।
एतनो से कम नाहीं होवे ले विपतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥1॥
कबरी छेगड़िया हमार बेरमाइल,
पांड़े जी क झबरा पिलउआ हेराइल।
कोहड़ा पर पाला मरलसि, लागे नाहीं बतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥2॥
लिखि देई जाड़ा बा, बनवां लीहें रजाई,
खोंखी आइल मरिगे, समुनरी के माई।
बड़े जोर बेराम बा, निरंजन बाबा के नतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥3॥
पछुआ पवन चले सिहरे परनवाँ,
छन-छन भरि-भरि आवेला नयनवाँ।
दिनवों त बीतेला, कटेले नाहीं रतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥4॥
लिखि देईं बिरही फगुनवों नेराइल,
बउरल अमवाँ, महुअवाँ गदाइल।
सेल्हा में अदउआ गुहैले भनमतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया ॥5॥
जै पइसा आइल तै सौ राहे गइल सैंया,
किनि नाहीं पवली हम अइया के दवइया।
ससुई ननदि रोज कहें सौ-सौ बतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥6॥
कई बेर पूछलें, मलगुजरिया पियादा,
कहलीं निबका देब अइहे उतमी के दादा।
नेइये तरे हउदी सटवलसि रमगतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया ॥7॥
लिखि देईं, भंगरा मदरसा पै जाला,
पंडित जी के परसों उठा ले आइल ताला।
ओके निरगुनवां, मिलल बा संघतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥8॥
छोटका के नरखा, मझिलका के नाहीं,
बुधनी सयान होगे, सारी वोके चाही।
काठे के करेजा कइलें बजरे कै छतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥9॥
खुदै हुसियार हवें ढेर का लिखाईं,
कगजा पै केतनी कलमि दउराईं।
कुलि-कुलि करिहें, बेसहिहें न सवतिया,
रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥10॥
[दयानन्द पाण्डेय द्वारा प्रेषित संशोधित वर्जन]