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"जब कभी / अर्चना भैंसारे" के अवतरणों में अंतर

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और जब कभी
 
और जब कभी
 
मैली हो जाती रुह
 
मैली हो जाती रुह

15:52, 3 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

और जब कभी
मैली हो जाती रुह

तब याद आती
तुम्हारे मन में बहते
मीठे झरने की

कि जिसमें डूबकर
साफ़ करती हूँ आत्मा अपनी।