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"सग्गा / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
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कळीज तो नीं गयो | कळीज तो नीं गयो | ||
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22:38, 30 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
बै
कैवण में सग्गा तो
अवस कहिजै
पण जाबक ई नीं समझै
सग्गै रौ संकट।
छुछक, भात, उढावणी
अर दायजो
लेंवती बेळा
कदेई नीं सोचै
कै सग्गो
कळीज तो नीं गयो
कर्ज रै कादै।