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माय / सकलदेव शर्मा

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<poem>
माय तेॅ माय छेकै
हमरोॅ अंतस में बैठलोॅ
जस के तस आइयो
सांस ले रहलोॅ छै |
देह नै छै तेॅ कि
बिना देह के
उ हमारा मेॅ जिंदा छै |
जा तक हम्मे जिंदा छियै
हमरोॅ संग हमरोॅ
माइयो जिंदा रहतै |
जन्मौती के पैहिने
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