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"प्रार्थना / अनीता वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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(New page: मुझे अच्छी लगती है पुरानी कलम पुरानी कापी पर उल्टी तरफ़ से लिखना शायद मे...)
 
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मुझे अच्छी लगती है पुरानी कलम
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भेद मैं तुम्हारे भीतर जाना चाहती हूं
पुरानी कापी पर उल्टी तरफ़ से लिखना
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रहस्य घुंघराले केश हटा कर
शायद मेरा दिमाग पुराना है या मैं हूं आदिम
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मैं तुम्हारा मुंह देखना चाहती हूं
मैं खोजती हूं पुरानापन
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ज्ञान मैं तुमसे दूर जाना चाहती हूं
तुरत आयी एक पुरानी हंसी मुझे हल्का कर देती है
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निर्बोध निस्पंदता तक
मुझे अच्छे लगते हैं नए बने हुए पुराने संबंध
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अनुभूति मुझे मुक्त करो
पुरानी हंसी और दुख और चप्पलों के फ़ीते
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आकर्षण मैं तुम्हारा विरोध करती हूं
नयी परिभाषाओं की भीड़ में
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जीवन मैं तुम्हारे भीतर से चलकर आती हूं।
संभाले जाने चाहिए पुराने संबंध
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नदी और जंगल के
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रेत और आकाश के
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प्यार और प्रकाश के।
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02:06, 2 जुलाई 2008 का अवतरण

भेद मैं तुम्हारे भीतर जाना चाहती हूं रहस्य घुंघराले केश हटा कर मैं तुम्हारा मुंह देखना चाहती हूं ज्ञान मैं तुमसे दूर जाना चाहती हूं निर्बोध निस्पंदता तक अनुभूति मुझे मुक्त करो आकर्षण मैं तुम्हारा विरोध करती हूं जीवन मैं तुम्हारे भीतर से चलकर आती हूं।