भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कंगस्या / मुरली दीवान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुरली दीवान }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> नारी अप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
{{KKCatGadhwaliRachna}} | {{KKCatGadhwaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | नारी अपडु चरित्र निर्माण करू | + | नारी अपडु<ref>अपना</ref> चरित्र निर्माण करू |
सामाजिक काम करू , धाण करू | सामाजिक काम करू , धाण करू | ||
तीलू रौतेली सी नारि , रामि बौराणी सी ब्वारी | तीलू रौतेली सी नारि , रामि बौराणी सी ब्वारी | ||
मुल्क मा अपड़ि अलग पछ्याण करू। | मुल्क मा अपड़ि अलग पछ्याण करू। | ||
− | गौरा देवी अर बछेंद्रीपाल जन बणिक आज | + | गौरा देवी अर बछेंद्रीपाल जन<ref>जैसे</ref>बणिक <ref>बनकर</ref>आज |
− | बार -बार नयु कीर्तिमान चैंदु | + | बार -बार नयु कीर्तिमान चैंदु<ref>चाहता हूँ</ref> |
− | जख दया धरम करम संस्कार पैदा होंदा | + | जख<ref>जहां</ref> दया धरम करम संस्कार पैदा होंदा |
− | मीतैं बगीचा सो बगवान चैंदू। | + | मीतैं<ref>मुझको</ref>बगीचा सो बगवान चैंदू। |
आज त आतंकवाद बणी भुला | आज त आतंकवाद बणी भुला | ||
− | वोडा -वोडा पर विबाद बणी भुला | + | वोडा -वोडा<ref>खेत की सीमा रेखा तय करने वाला पत्थर</ref> पर विबाद बणी भुला |
द्वी झणो का बीच द्वी भयों की राजी खुसी मा | द्वी झणो का बीच द्वी भयों की राजी खुसी मा | ||
जिंदगी भर कु मवाद पड़ी भुला | जिंदगी भर कु मवाद पड़ी भुला | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
मीतैं बगीचा सो बगवान चैंदू। | मीतैं बगीचा सो बगवान चैंदू। | ||
</poem> | </poem> | ||
+ | {{KKMeaning}} |
11:49, 29 मार्च 2018 के समय का अवतरण
नारी अपडु<ref>अपना</ref> चरित्र निर्माण करू
सामाजिक काम करू , धाण करू
तीलू रौतेली सी नारि , रामि बौराणी सी ब्वारी
मुल्क मा अपड़ि अलग पछ्याण करू।
गौरा देवी अर बछेंद्रीपाल जन<ref>जैसे</ref>बणिक <ref>बनकर</ref>आज
बार -बार नयु कीर्तिमान चैंदु<ref>चाहता हूँ</ref>
जख<ref>जहां</ref> दया धरम करम संस्कार पैदा होंदा
मीतैं<ref>मुझको</ref>बगीचा सो बगवान चैंदू।
आज त आतंकवाद बणी भुला
वोडा -वोडा<ref>खेत की सीमा रेखा तय करने वाला पत्थर</ref> पर विबाद बणी भुला
द्वी झणो का बीच द्वी भयों की राजी खुसी मा
जिंदगी भर कु मवाद पड़ी भुला
आज तु नि चैंदु आज भगत सिंग चैंदु भुला
आज वी पवित्र बलिदान चैंदु
जख दया धरम करम संस्कार पैदा होंदा
मीतैं बगीचा सो बगवान चैंदू।
शब्दार्थ
<references/>