{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= [[मीठेश निर्मोही]]|अनुवादक=|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita}}{{KKCatKavitaKKCatRajasthaniRachna}}<poem>बीसवै सईकै रै सेड़ै
कठै पूगग्या हां म्हे ?
कांई गीत
अर
कांई बात !
तरसै गीतां नै कंठ
रांचै पाठकां नै
कविता अर सबद ।सबद।
वेलै माईतां सारू
टाबर
अर बेटा सारू
तात ।तात।
संभाळौ, सभाळौ,
अर सभाळौ
नींतर व्हैला
आपघात ।आपघात।
</poem>