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54मर जाऊँगा,तुम्हारे लिए जग में फिर आऊँगा !55पूजा न जानूँन देखा ईश्वर को तुमको देखा !56प्रतिमा रोईकलुष न धो पाई,भक्तों ने बाँटे ।57व्यथा के घनफट जाएँ जो कभीपर्वत डूबें ।58नाग-नागिनलिपटे तन-मनजकड़ा कण्ठ ।59पाषाण थे वेन पिंघले ,न जुड़े टूटे न छूटे ।60अश्रु ने कहीसिर्फ तुमने बाँचीव्यथा की कथा।61घने अँधेरेप्रकम्पित लौ तुमकिए उजेरे।62निराश मनचूम तेरे अधरपाता जीवन63नेह का नीरहर लेना प्रिय कीतू सारी पीर।-0-
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