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जीवन / कीर्ति चौधरी
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18:39, 25 अगस्त 2008
उन सपनों को--जो दिखे नहीं।
बीत गई उमर
अौर एक अदद जीवन
यों ही बिना जिए
अंदर से भरा
अौर ऊपर से रिक्त ।
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