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क्या / रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार / अनिल जनविजय
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10:43, 26 अक्टूबर 2020
<poem>
क्या जब तक आदमी मरा हुआ है, कोई
ज़िन्दा रह सकता
है
।
चलो फिर, सब मर जाएँ
भले ही धीरे-धीरे
अनिल जनविजय
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