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क्या / रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
क्या जब तक एक आदमी मरा हुआ है, कोई
ज़िन्दा रह सकता है।
चलो फिर, सब मर जाएँ
भले ही धीरे-धीरे
जब तक कि यह अन्याय ख़त्म नहीं हो जाता ।
स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
Roberto Fernández Retamar
QUE
Que mientras quede un hombre muerto, nadie
Se quede vivo.
Pongámonos todos a morir,
Aunque sea despacito,
Hasta que se repare esa injusticia..