Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
नज़र से गिरे तो किधर जायेंगे फिर
जनम भर दुबारा न उठ पायेंगे फिर
कमा लेंगे धन और दौलत बहुत सी
मगर ये मुहब्बत कहाँ पायेंगे फिर
हमें देखकर बंद कर लेगी खिड़की
तो कैसे गली में तेरी आयेंगे फिर
 
न धरती ये होगी न अंबर वो होगा
चमकते सितारे कहाँ जायेंगे फिर
 
हमें छोड़ दें शैाक़ से आप लेकिन
किसे अपने पहलू में बैठायेंगे फिर
 
यहाँ ज़ेब खाली न रुतबा न ताक़त
अमीरों की महफ़िल में क्यों आयेंगे फिर
 
भरोसा विखंडित अगर हो गया तो
तुम्हारी क़सम है कि मर जायेंगे फिर
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits