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कसमसाकर सो जाना उस स्पर्श से लिपटकर।धीरे से कुछ कह जाना वो धड़कनों में सिमटकर।हर अनुभव अनुपम था- हर उपमा भी निराली।प्रेयसी की आँखों को संज्ञा ब्रह्माण्ड की; दे डाली।प्रेम क्या है- नहीं पता किन्तु प्रश्न गम्भीर है।प्रियतमा की आँखों में- ब्रम्हाण्ड है या नीर है?प्रेमी आँखों से न उबर सका प्रेयसी ब्रह्माण्ड में ठहरी है।प्रेम तटों -सा चुप है खड़ा समय की नदी भी गहरी है।
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