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<poem>
जब मर जाऊँ मैं, मेरे प्रियतम
मत गाना नहीं कोई शोक गीत शोकगीत मेरे लिए;मत रोपना नहीं कोई गुलाब मेरे सिरहाने,और न ही सायादार सरो की गाछ :बन आना उगना बनकर हरी घास मेरे ऊपरबारिशों और ओस की बूंदों बून्दों से तर;और अगर चाहो, तो याद करनाऔर अगर चाहो, तो भूल जाना।
मैं नहीं देखूँगी छाँह को,मैं नहीं महसूस करूँगी बारिश कोछू पाऊँगी बारिशें;मैं नहीं सुनूँगी बुलबुल कोगाते हुए बुलबुल अगरचे वह रंजीदा ही हो :
और ख़्वाब बुनते हुए उस साँझ के पार
जो न तो उगती है न बुझती है,
मुमकिन है मैं याद करूँतुम्हें,और मुमकिन है कि भूल भी जाऊँ ।
(18 वर्ष की उम्र में लिखी गई क्रिस्टीना की कविता
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधा तिवारी'''
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