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अपमान / शंख घोष / जयश्री पुरवार
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16:12, 3 जुलाई 2022
बहुत सावधानी से खेनी होगी नाव
क्योंकि
ठाठबाट में
ठाठ-बाट से
सजग हो बैठे हैं घड़ियाल
कविता में अगर कहानी छुपी हुई है
तो उसे झट से निगल
जायेगा
जाएगा
सीरियल ।
'''मूल बांग्ला से अनुवाद : जयश्री पुरवार'''
</poem>
अनिल जनविजय
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