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जाड़ा / इवान सूरिकफ़ / अनिल जनविजय
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सफ़ेद बर्फ़ फूली-फूली
भँवर सी हवा में घूम रही
और पृथ्वी पर गिरकर
के
वो
इस
धरती को चूम रही
सुबह-सुबह देखी मैंने
अनिल जनविजय
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