कवि: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=राम विलास शर्मा]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह= [[Category:राम विलास शर्मा]]}}
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पिछला पहर रात का, पर आकाश में
छिटकी है अब भी चौदस की चाँदनीचांदनी;
बिना वृक्ष-झाड़ी के, घेरे क्षितिज को,